MOTORMAN
Train drivers work for local and national rail companies servicing passengers, freight trains, or pulling engineering equipment related to track maintenance. In order to have a career as a train driver, one must fulfill the following criteria:
Age:
- Those willing to become a train driver must be between 18 to 30 years of age. However, candidates belonging to SC/ST and OBC category are given age relaxation as per the government norms.
Academic Qualification:
- To become an Assistant Loco Pilot (ALP) or train driver, a candidate must have qualified in class 10th or equivalent qualification from a recognized board or university.
- They must have completed ITI pass or Diploma in Mechanical/Electrical/Electronics/Automobile Engineering from an institution recognized by AICTE.
Career as Train Driver in Indian Railways – Selection Procedure
Railway Recruitment Board (RRB) conducts the selection procedure of RRB ALP (Assistant Loco Pilot). The selection procedure is held in four stages – first Stage CBT, Second stage CBT, computer-based aptitude test and document verification.
- First Stage – The first stage is conducted only to shortlist candidates for the second stage. The marks obtained by candidates in this stage is not considered for the final merit list.
- Second Stage – The marks scored in part A of the second stage will only be considered to shortlist candidates for further stages of recruitment procedure provided candidates qualify in part B. The part B of RRB ALP second stage is qualifying in nature.
- Computer-Based Aptitude Test – Candidates are shortlisted for this stage based on their performance in part A of the second stage. The merit list for ALP will be prepared from amongst the candidates qualifying in the aptitude test. The examination authority will give 70% weightage to the marks obtained in part A of the second stage and 30% weightage to the marks obtained in CBAT.
- Document Verification – For all the ALP posts, the examination authority will consider the score of CBAT to shortlist candidates for document verification.
The post of Assistant Loco Pilot is common in the Indian Railways under the Ministry of Railway and at various metro rail corporations within the country. The recruitment process for Assistant Loco Pilot is conducted by various Railway Recruitment Boards (RRBs) in respective regions from time to time as per the vacancies by issuing recruitment notifications.——————————————————————————————————————————————————————————————————
सावधान(ALERT) :-
PSYCHO/APTITUDE TEST IS NOT A STUDY THIS IS THE TREATMENT OF HUMAN ERROR. (साइको टेस्ट पढ़ाई नहीं बल्कि एक ईलाज हैं) – K.K.JHA
अनुरोध : मैं (के. के. झा.), अभ्यर्थियों के साथ–साथ अभिभावकों को अपने कुछ शब्दों से अवगत कराना चाहता हूँ कि जब रेलवे सायको की तैयारी के लिए बाजार में कुछ भी सामग्री उपलब्ध नहीं था तब से मैं आपको सेवा दे रहा हूँ। फलस्वरूप आज भारत के कोने–कोने से पूर्ण विश्वास के साथ अभ्यर्थी यहाँ आते हैं। वस्तुतः यह पढ़ाई कम ईलाज अधिक हैं। इसमें जानकारी के साथ–साथ अभ्यर्थियों के दिमाग एवं शरीर को अलग–अलग Portion के हिसाब से Adjust करना होता है, अर्थात मशीनीकरण। यदि आसान भाषा में कहें तो लिखित परीक्षा की तैयारी कराना फिजीशियन जैसा और सायको सर्जन जैसा है। इस टेस्ट को कठिन नहीं बल्कि खतरनाक मान सकते हैं। इसमें समय–समय पर प्रश्न का प्रारूप वही रहता है हल करने का Instruction बदल जाता है या फिर अचानक नया Portion जुट जाता है। अतः मार्गदर्शक को हमेशा हर प्रकार के गतिविधि से निपटने के लिए सदैव तैयार एवं पैनी नज़र रखनी होती है। अभ्यर्थी यह भी समझ ले कि रिजनिंग एवं सायको टेस्ट में कोई संबंध नहीं है, दोनों का Concept बिल्कुल अलग है, दोनों में वही संबंध है जो इतिहास एवं गणित में है। आज लोग नामांकन के लिए किताब निकालना, नोट्स (फोटो कॉपी), छूट, ईनाम, झूठ, दबाव, गारंटी, एवं दलाल नियुक्त करते हैं, आप स्वयं महसूस करें क्या इससे सफलता मिल सकती है? यहाँ तक कि सायको के समय में लोग अपना वास्तविक नाम भी कुछ दिनों के लिए बदल लेते हैं, यह सच है। हद तो तब हो गयी जब लोग यहाँ से पलायन करके अन्य जगह, राज्यों में संस्थान खोलकर अभ्यर्थियों को रोकने का कोशिश करते हैं। अभ्यर्थियों को तत्काल लगता है कि आने–जाने के परेशानी से बच गये यह सोच सायद घातक हो सकती है। लोग कैरियर के लिए वर्षो देश छोड़ देते हैं तो 5 दिन क्यों नहीं? मैं आपके आशा एवं दर्द को बहुत करीब से बखूबी समझता हूँ। बहुत दर्द होता है जब लोग कई जगह ठोकर खाकर अंत में यहाँ पहुंचते है। आज यदि मैंने देश में थोड़ा भी पहचान बनाया है तो इसके पीछे अभिभावकों, अभ्यर्थियों, देश के अनेकों कोचिंग संस्थानों, शिक्षकों, अपने माता–पिता एवं संस्थान के पूरे टीम के सहयोग से। अतः इन सभी को हार्दिक धन्यवाद एवं आभार प्रकट करता हूँ। मैं तथा मेरी संस्थान हमेशा अन्य से नहीं बल्कि खुद से तुलना करती है। फिर भी अंत में आप सभी को अवश्य कहना चाहूँगा कि मैं सिर्फ आपके लिए सहायक मात्र हूँ बांकी सब ईश्वर के हाथ में है–धन्यवाद। — के. के. झा. (निदेशक–सह–शिक्षक)